पिता का नाम - पॉल रेनहोल्ड जॉब्स
माता का नाम - क्लारा जॉब्स
पत्नी का नाम - लोरेन पॉवेल
बच्चों के नाम - लिसा ब्रेनन जॉब्स, रीड, एरिन, ईव जाब्स
जन्म - 24 फरवरी 1955 सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका
मृत्यु - 5 अक्टूबर 2011 पालो आल्टो,कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका
स्टीव पॉल जॉब्स एक अमेरिकी उद्योगपति हैं ज्यादातर लोग उन्हें एप्पल इनकॉरपोरेशन के संस्थापक, अध्यक्ष और सीईओ के रूप में जानते हैं। आधुनिक युग के महानतम नवाचारीयो में से एक स्टीव जॉब्स ने कंप्यूटर और संगीत उद्योग का कायाकल्प कर दिया।उन्होंने आधुनिक युग की सबसे प्रिय प्रौद्योगिकी हम तक पहुंचाई है। स्टीव जॉब्स ने 1976 में अपने मित्र स्टीफन वाजनियाक के साथ मिलकर एप्पल कंपनी की स्थापना की। लेकिन 1985 में जब स्टीव जॉब को कंपनी से निकाल दिया गया तब उन्होंने कंपनी पिक्सार को खरीदा और फिर 17 साल बाद एप्पल में लोटे और उसका कायाकल्प करके एप्पल को दुनिया की सबसे पसंदीदा कंपनियों में से एक बना दिया। स्टीव जॉब्स का मानना था कि 'अयोग्य समझे जाने वाले और विद्रोही लोग ही मानव जाति को आगे ले जाते हैं क्योंकि वह संसार को बदलने से घबराते नहीं है' वह एक साहसी व्यवसायी थे जो हमेशा अपनी गलतियों के बावजूद ऊपर उठे।
स्टीव जॉब्स Steve Jobs का प्रारंभिक जीवन और पढाई
स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 में सैन फ्रांसिस्को कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। पॉल जॉब्स और क्लारा जॉब्स ने उन्हें गोद लिया था। पाल मैकेनिक थे और क्लारा अकाउंटेंट की नौकरी करती थी। जॉब्स दंपत्ति की हैसियत तो ज्यादा नहीं थी लेकिन उनके पास में प्यार की बेशुमार दौलत थी। जॉब्स दंपत्ति ने वह सब करने की ठानी जो एक बच्चे के लिए जरूरी होता है खासतौर पर उनके कॉलेज की पढ़ाई के लिए पाल जॉब्स ने पैसे जोड़ना शुरू कर दिया। इसके अलावा पॉल जॉब्स ने स्टीव को मशीनों तथा यंत्रों के प्रति लगाव भी विरासत में दिया। बेशक उनमें प्रतिभा थी लेकिन स्कूल में लगातार वह अनुशासनात्मक समस्याएं खड़ी करते रहते थे। 13 साल की उम्र में स्टीव की मुलाकात वोजनियाक से हुई वोजनियाक भी स्टीव की तरह मशीनों में दिलचस्पी रखते थे। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्टीव का दाखिला ओरेगॉन के रीड कॉलेज में हुआ जिसकी फीस बहुत ज्यादा थी। पॉल और क्लारा स्टीव को अच्छे कॉलेज में पढ़ाने के लिए बड़ी मुश्किल से कॉलेज की फीस का इंतजाम करते थे। स्टीव को जल्द ही एहसास हुआ कि कॉलेज की पढ़ाई में उनका मन नहीं लग रहा और माता-पिता के पैसे में बर्बाद हो रहे है। इसलिए उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला लिया अब स्टीव रोज कॉलेज नहीं जाते थे स्टीव अब केवल वही क्लास अटेंड करते थे जिनमें उन्हें इंटरेस्ट था यहां पर उन्होंने कैलीग्राफी की क्लास अटेंड की उनके कैलीग्राफी में दिलचस्पी की बदौलत ही आज हम कम्प्यूटर में इतने फॉन्ट्स (Fonts) में लिख पाते है। यह एक ऐसा वक्त था। जिस समय स्टीव के पास बिल्कुल पैसे नहीं हुआ करते थे। वह अपने दोस्त के कमरे में फर्श पर सोते थे कोक की बोतल बेचकर खाने के लिए पैसे जुटाते थे और हर रविवार हरे कृष्णा मंदिर जाते थे जहां पर उन्हें मुफ्त भरपेट भोजन मिलता था।
स्टीव जॉब्स Steve Jobs का प्रारंभिक करियर
स्टीव जॉब्स ने 1972 में अटारी नामक वीडियो गेम डेवलपिंग कंपनी में काम करना शुरू किया। कुछ समय बाद स्टीव का यहां पर भी मन नहीं लगा और वह कुछ पैसे इकट्ठा करके 1974 में भारत घूमने चले गए भारत में उन्होंने 7 महीने गुजारे इस दौरान स्टीव ने बौद्ध धर्म के बारे में ज्ञान अर्जित किया। 7 महीने बाद स्टीव वापस अमेरिका लौट गए इस यात्रा के बाद मानो स्टीव का सारा जीवन ही बदल गया उन्होंने अपना सिर मुंडवा लिया और सन्यासी जैसा वेश धारण कर लिया स्टीव जॉब्स ने एक बार फिर से अटारी में नौकरी ज्वाइन कर ली और अब वह अपने माता-पिता के साथ रहने लगे।
एप्पल Apple कंपनी की शुरुआत
स्टीव जॉब्स और वोजनियाक का कंप्यूटर में बहुत मन लगता था। स्टीफन वोजनियाक का जन्म सैन जोस कैलिफोर्निया में 11 अगस्त 1950 में हुआ उनके पिता लॉकहीड कॉरपोरेशन में काम करते थे। वोजनियाक अपने खुद का एक कंप्यूटर बनाना चाहते थे। 1976 में जॉब्स और वाजनियाक ने जॉब्स के गैराज में कंप्यूटर निर्माण पर काम शुरू किया उन्होंने अपनी एक कंपनी खोली जिसका नाम एप्पल रखा उस समय स्टीव जॉब्स की उम्र मात्र 21 साल थी कंपनी की स्थापना के बाद 1976 में एप्पल ने अपना प्रोडक्ट एप्पल 1 लॉन्च किया। एप्पल ने 1977 मे एप्पल 2 को बाजार मेंं उतारा जिसे लोगों ने काफी पसंद किया जल्द ही एप्पल कंपनी ने 2 बिलियन कमा लिए। 1980 तक यह एक जानी-मानी कंपनी बन गई।
क्यो स्टीव जाब्स को एप्पल से निकाला गया
एप्पल कंपनी ने और आगे बढ़ते हुए एप्पल 3 और उसके बाद लिसा को लांच किया एप्पल के ये नए वर्जन फ्लॉप रहे और लोगों ने इसे नापसंद किया। इसके बाद 1984 में लिसा पर आधारित बेस्ट सुपर बाउल का निर्माण किया और इसे मैकिनटोश के साथ लांच किया गया जो कि काफी सफल रहा। अब एप्पल IBN के साथ मिलकर पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण करने लगा इस कंप्यूटर का कांसेप्ट कभी छुपाया नहीं गया जिस वजह से दूसरी कंपनियों ने भी इसे अपनाया और मैकिनटोश और एप्पल के मुकाबले काफी सस्ते कंप्यूटर मार्केट में उतारे जिस वजह से एप्पल कंपनी को काफी घाटा हुआ इसका जिम्मेदार स्टीव जॉब्स को ठहराया गया और उन पर इस्तीफे का दबाव बनाया गया 17 सितंबर 1985 को स्टीव में एप्पल कंपनी से इस्तीफा दे दिया स्टीव के साथ उनके पांच अन्य करीबियों ने भी कंपनी से इस्तीफा दे दिया।
एप्पल Apple के बाद स्टीव जॉब्स का करियर
एप्पल से बाहर निकलने के बाद स्टीव को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करें। इस घटना के बाद स्टीव पूरी तरह टूट चुके थे उन्हें लग रहा था कि वह सामाजिक तौर पर असफल रहे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जल्द ही खुद को संभाल लिया क्योंकि स्टीव जानते थे कि उन्होंने केवल कंपनी छोड़ी है लेकिन कंप्यूटर बनाने की काबिलियत अबभी उनके पास है। वे अब स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं। तब स्टीव ने नेक्स्ट कंपनी की शुरुआत की इस कंपनी का पहला प्रोडक्ट हाई एंड पर्सनल कंप्यूटर था। लेकिन पहले से ही मार्केट पर एप्पल लीसा का कब्जा होने के कारण इसे उतनी कामयाबी नहीं मिली। जिसके बाद स्टीव ने नेक्स्ट कंपनी को एक सॉफ्टवेयर कंपनी में बदल दिया। जिसके बाद स्टीव की किस्मत खुल गई और कंपनी को काफी सफलता मिली।
नेक्स्ट कंपनी की सफलता के बाद स्टीव जॉब्स 1986 में 10 मिलियन डॉलर में द ग्राफिक ग्रुप को खरीद लिया जिसके बाद इसका नाम पिक्सार रखा गया यह एक ग्राफिक कंपनी थी 1979 में पिक्सार की "टीन टॉय" ने बेस्ट एनीमेटेड शॉर्ट फिल्म में ऑस्कर जीता। इसके अलावा भी पिक्सार के अंतर्गत बनने वाली फिल्मों ने कई अवार्ड जीते। 2006 में डिज्नी (Disney) ने पिक्सार को खरीद लिया और स्टीव जॉब्स को डिज्नी के बोर्ड में शामिल किया गया।
स्टीव जॉब्स की एप्पल में वापसी
1996 में एप्पल कंपनी ने नेक्स्ट कंपनी को खरीद लिया और स्टीव जॉब्स की एप्पल में सीईओ के रूप में वापसी हुई। यह वह समय था जब एप्पल बुरे दौर से गुजर रही थी जिसे इस दौर से उबरने के लिए एक नई सोच की जरूरत थी और इसी समय स्टीव जॉब्स की एप्पल में वापसी हुई थी। अब एप्पल का संचालन स्टीव कर रहे थे इस दौरान कंपनी ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ एप्पल ने इस दौरान ipod म्यूजिक प्लेयर, iTunes म्यूजिक सॉफ्टवेयर को मार्केट में लॉन्च किया यह दोनों प्रोडक्ट मार्केट में सफल रहे और लोगों में काफी पसंद किये गए। 2007 में एप्पल ने अपना पहला मोबाइल फोन लांच किया जो कि मोबाइल की दुनिया में एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ। जिसके बाद एप्पल की छवि मार्केट में और मजबूत हो गई। 2011 में एप्पल कंपनी का मूल्य 376 बिलियन डॉलर आका गया और कुछ समय तक एप्पल संसार की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी रही।
स्टीव जॉब्स Steve Jobs की मृत्यु
स्टीव जॉब्स को अक्टूबर 2003 में अपने कैंसर की बिमारी का पता चला उन्हें अग्नाशय का कैंसर था। जिसके इलाज केेेे लिए 2004 में स्टीव की सर्जरी हुई सर्जरी में उनके ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया। उनकी गैर हाजरी के दौरान एप्पल का कार्यभार टीम कुक को दिया गया। 2009 में स्टीव की हालत और बिगड़नेे लगी जिसके चलतेे उनका लिवर ट्रांसप्लांट करना पड़ा अप्रैल 2009 में स्टीव का लीवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेश हुआ। अबभी उनकी हालत ठीक नहीं थी। लेकिन अपने काम केे प्रति लगाव के चलते 2011 में स्टीव ने फिर से एप्पल में काम प्रारंभ किया। लेकिन अपने खराब स्वास्थ्य के चलते 24 अगस्त 2011 को स्टीव जॉब्स ने अपने सीईओ पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी और लिखित तौर पर अपना इस्तीफा एप्पल कंपनी के बोर्ड ऑफ मेंबर्स को सोप दिया। जिसके कुछ समय बाद कैलिफोर्निया के पालो आल्टो में 5 अक्टूबर 2011 में स्टीव जॉब्स का निधन हुआ और उद्योगजगत का एक क्रांतिकारी सितारा इस दुनिया से चला गया।
स्टीव जॉब्स के प्रेरणादायक विचार
* आप कस्टमर से यह नहींं पूछ सकते कि वह क्या चाहते हैं और फिर वह उन्हें बना कर दे क्योंकि जब तक आप उन्हें वह बना कर देंगे वह कुछ और चाहने लगेंंगे
* क्रिएटिविटी बस चीजों को जोड़ना है।
* महान काम करने का केवल एक ही तरीका है वह करो जो तुम्हें पसंद हो अगर तुम्हें अभी तक वह नहीं मिला है तो खोजते रहो ,समझौता मत करो।
* बिजनेस में महान चीजें किसी एक आदमी द्वारा नहीं की जाती वह लोगों की एक टीम के द्वारा की जाती है।
* यदि आपकी नजर लाभों पर रहेगी तो आपका ध्यान उत्पाद की गुणवत्ता पर से हट जाएगा लेकिन यदि आप एक अच्छा उत्पाद बनाने पर ध्यान लगाओगे तो लाभ अपने आप आपका अनुसरण करेगा।
1 Comments
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