मिशन चन्द्रयान 2 कि खास बातें chandrayaan-2


भारत ने चांद की ओर और एक कदम आगे बढ़ाते हुए चंद्रयान-2 को लांच किया चंद्रयान को भारत की स्पेस एजेंसी इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) ने लांच किया इसरो ISRO ने चंद्रयान-2 का लॉन्च 22 जुलाई 2019 सोमवार दोपहर 2:43 मिनट पर श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया प्रक्षेपण के 17 मिनट बाद यह यान सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया।          
                               
चंद्रयान 2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क III से लांच किया गया इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटल लेंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) है इस मिशन के तहत इसरो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लेंडर को उतारेगा इस बार chandrayaan-2 का वजन 3,877 किलो है यह chandrayaan-1 मिशन (1,380 किलो) से करीब 3 गुना ज्यादा है लेंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की है chandrayaan-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर उतरेगा यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होंगी इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर  उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।   

       
chandrayaan-2


नचंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटल एक साल तक काम करेगा इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लेंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटल चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वही लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे लेंडर यह जाचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहींं। जबकि रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा

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